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आखिर क्यों ख़राब नहीं होता गंगाजल ...

आखिर क्यों ख़राब नहीं होता गंगाजल ....
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गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी है, इस विशाल नदी ने भारत को बहुत कुछ दिया है और आगे भी देती रहेगी। माना जाता है कि गंगा नदी का प्राकट्य भगीरथ जी ने शिवजी की महान कृपा से करवाया था। वे ही थे जो गंगा जैसी अमृत नदी को सबसे पहले पृथ्वी पर लेकर आये थे। आज हालात दूसरे हैं गंगा नदी को लोगों ने बहुत प्रदुषित कर दिया है। इतने प्रदुषण के बाद भी हिमालय से निकलने वाली इस महान नदी का जल कई दिनों तक खराब नहीं होता है।

अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस के अनेकों वैज्ञानिक गंगाजल पर कई बार रिसर्च कर चुके हैं और हैरान हैं गंगाजल की विलक्षणता पर। इंग्लैंड के मशहूर चिकित्सक सी.ई. नेल्सन ने जब गंगा जल पर रिसर्च की तो उन्होंने कहा कि इस पानी में कीटाणु नहीं होते।

लगभग हर हिंदू परिवार में पानी का एक कलश या कोई दूसरा बर्तन ज़रूर होता था जिसमें होता है गंगाजल। किसी पूजा के लिए, चरणामृत में मिलाने के लिए, मृत्यु नज़दीक होने पर दो बूंद मुंह में डालने के लिए जिससे कि आत्मा सीधे स्वर्ग में जाए। भारत में लोग गंगा जल को पवित्र मानते हैं और बताते हैं कि इसका पानी खराब नहीं होता।

वेद, पुराण, रामायण महाभारत सब धार्मिक ग्रंथों में गंगा की महिमा का वर्णन है। कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करते ही थे, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाते थे। अब सवाल ये है कि गंगा जल

आखिर खराब क्यों नहीं होता ?

पतित पावनी गंगा नदी का नाम आते ही ये सवाल अक्सर दिमाग को खटखटा देता है, लेकिन इसका भी... जवाब मिल गया है। दरअसल, हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा का जल इसलिए कभी खराब नहीं होता, क्योंकि इसमें गंधक, सल्फर, खनिज की सर्वाधिक मात्रा पाई जाती है। हरिद्वार में गोमुख गंगोत्री से आ रही गंगा के जल की गुणवत्ता पर इसलिए कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह हिमालय पर्वत पर उगी हुई अनेकों जीवन दायिनी उपयोगी जड़ी बुटियों के ऊपर से स्पर्श करता हुआ आता है।

खुद ही साफ होती रहती है गंगा

लंबे अरसे से गंगा पर शोध करने वाले आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ़ रखने वाला यह तत्व गंगा की तलहटी में ही सब जगह मौजूद है।
प्रोफ़ेसर भार्गव का तर्क है, "गंगोत्री से आने वाला अधिकांश जल हरिद्वार से नहरों में डाल दिया जाता है। नरोरा के बाद गंगा में मुख्यतः भूगर्भ से रिचार्ज हुआ और दूसरी नदियों का पानी आता है. इसके बावजूद बनारस तक का गंगा पानी सड़ता नहीं। इसका मतलब कि नदी की तलहटी में ही गंगा को साफ़ करने वाला विलक्षण तत्व मौजूद है."

डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है। दूसरी नदी जो गंदगी 15-20 किलोमीटर में साफ़ कर पाती है, उतनी गंदगी गंगा नदी एक किलोमीटर के बहाव में साफ़ कर देती है।