महान नास्तिक लोग जिन्होंने मानव सभ्यता ...

दुनिया के वो महान नास्तिक लोग जिन्होंने मानव सभ्यता के विकास को गति दी

1- आचार्य चार्वाक का कहना था -"इश्वर एक रुग्ण विचार प्रणाली है , इससे मानवता का कोई कल्याण होने वाला नहीं है।"
2 - अजित केशकम्बल ( 523 ई . पू )अजित केश्कंबल बुद्ध के समय कालीन विख्यात तीर्थंकर थे , त्रिपिटीका में अजित के विचार कई जगह आये हैं , उनका कहना था - "दान, यज्ञ , हवन नहीं .. लोक परलोक नहीं।"
3 - सुकरात ( 466-366 ई पू ) "इश्वर केवल शोषण का नाम है।"
4 - इब्न रोश्द ( 1126-1198 ) इनका जन्म स्पेन के मुस्लिम परिवार में हुआ था , रोश्द के दादा जामा मस्जिद के इमाम थे , इन्हें कुरआन कंठस्थ थी। इन्होने अल्लाह के अस्तित्व को नकार दिया था और इस्लाम को राजनैतिक गिरोह कहा था। जिस कारण मुस्लिम धर्मगुरु इनकी जान के पीछे पड़ गए थे। रोश्द ने दर्शन के बुद्धि प्रधान हथियार से इस्लाम के मजहबी वादशास्त्रियों की खूब खबर ली।
5 - कॉपरनिकस ( 1473-1543) इन्होने धर्म गुरुओं की पोल खोली थी, इसमें धर्मगुरु ये कह कर को मुर्ख बना रहे थे की सूर्य प्रथ्वी के चक्कर लगता है। कॉपरनिकस ने अपने प्रयोग से ये सिद्ध कर दिया की प्रथ्वी सहित सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं, जिस कारण धर्म गुरु इतने नाराज हुए की कोपरनिकस के सभी सार्थक वैज्ञानिको को कठोर दंड देना प्रारंभ कर दिया।
6 - मार्टिन लूथर ( 1483-1546) इन्होने जर्मनी में अन्धविश्वास, पाखंड और धर्मगुरुओं के अत्याचारों के खिलाफ आन्दोलन किया। इन्होने कहा था "व्रत, तीर्थयात्रा, जप, दान आदि सब निरर्थक है।"
7- सर फ्रेंसिस बेकन ( 1561-1626) अंग्रेजी के सारगर्भित निबंधो के लिए प्रसिद्ध, तेइस साल की उम्र में ही पार्लियामेंट के सदस्य बने, बाद में लार्ड चांसलर भी बने। उनका कहना था, "नास्तिकता व्यक्ति को विचार, दर्शन, स्वाभाविक निष्ठां , नियम पालन की और ले जाती है, ये सभी चीजे सतही नैतिक गुणों की पथ दर्शिका हो सकती हैं।"
8 - बेंजामिन फ्रेंकलिन (1706-1790) इनका कहना था "सांसारिक प्रपंचो में मनुष्य धर्म से नहीं बल्कि इनके न होने से सुरक्षित है।"
9- चार्ल्स डार्विन (1809-1882) इन्होने ईश्वरवाद और धार्मिक गुटों पर सर्वाधिक चोट पहुचाई, इनका कहना था "मैं किसी ईश्वरवाद में विश्वास नहीं रखता और न ही आगामी जीवन के बारे में।"
10- कार्ल मार्क्स ( 1818-1883) कार्ल मार्क्स का कहना था "ईश्वर का जन्म एक गहरी साजिश से हुआ है" और "धर्म एक अफीम है" उनकी नजर में धर्म विज्ञानं विरोधी, प्रगती विरोधी, प्रतिगामी, अनुपयोगी और अनर्थकारी है। इसका त्याग ही जनहित में है।
11- पेरियार (1879-1973) इनका जन्म तमिलनाडु में हुआ और इन्होने जातिवाद, ईश्वरवाद, पाखंड, अन्धविश्वास पर जम के प्रहार किया l
12- अल्बर्ट आइन्स्टीन ( 1879-1955) विश्वविख्यात वैज्ञानिक का कहना था "व्यक्ति का नैतिक आचरण मुख्य रूप से सहानभूति, शिक्षा और सामाजिक बंधन पर निर्भर होना चाहिए, इसके लिए धार्मिक आधार की कोई आवश्यकता नहीं है। मृत्यु के बाद दंड का भय और पुरस्कार की आशा से नियंत्रित करने पर मनुष्य की हालत दयनीय हो जाती है।"
13- भगत सिंह (1907-1931) प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानी भगत सिंह ने अपनी पुस्तक "मैं नास्तिक क्यों हूँ?" में कहा है "मनुष्य ने जब अपनी कमियों और कमजोरियों पर विचार करते हुए अपनी सीमाओं का अहसास किया तो मनुष्य को तमाम कठिनाईयों का साहसपूर्ण सामना करने और तमाम खतरों के साथ वीरतापूर्ण जुझने की प्रेरणा देनेवाली तथा सुख दिनों में उच्छखल न हो जाये इसके लिए रोकने और नियंत्रित करने के लिए ईश्वर की कल्पना की गयी है।"
14- लेनिन– लेनिन के अनुसार "जो लोग जीवन भर मेहनत मशक्कत करते है और आभाव में जीते हैं उन्हें धर्म इहलौकिक जीवन में विनम्रता और धैर्य रखने की तथा परलोक में सुख की आशा से सांत्वना प्राप्त करने की शिक्षा देता है, परन्तु जो लोग दुसरो के श्रम पर जीवित रहते हैं उन्हें इहजीवनमें दयालुता की शिक्षा देता है, इस प्रकार उन्हें शोषक के रूप में अपने सम्पूर्ण अस्तित्व का औचित्य सिद्ध करने का एक सस्ता नुस्खा बता देता है।"
15- गौतम बुद्ध – बुद्ध कहते है की भगवान नाम की कोई चीज नही है! भगवान के लिये अपना समय नष्ट मत करो। केवल सत्य ही सब कुछ है।
16- रामस्वरूप वर्मा (संस्थापक- अर्जक संघ)-अर्जक समाज का शोषण करने के लिए ईश्वर, आत्मा, पुनर्जन्म, भाग्यवाद , जाती-पाती, छुआछूत आदि ब्राह्मणों ने बनाया है।

17.Dinesh Aastik_ चमत्कारी शक्ति का दावा करने वाले बाबाओं के लिए 22 खुली चुनौतियाँ
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डा0 अब्राहम कोवूर ने अंधविश्वास के विरूद्ध जोरदार लडाई लडी। वह कोलम्बो में विज्ञान विभाग के प्रधान थे। 1959 में उससे रिटायर होने के बाद अपने इसी मिशन में लगे रहे। उनका कहना था कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं।

उन्होंने तमाम बाबाओं को खुली चुनौती देते हुए 22 चुनौतियाँ रखी थीं। कहा - जो भी व्यक्ति इनमें से एक चुनौती में भी खरा उतर कर दिखाएगा, उसे एक लाख रूपये का नकद इनाम दिया जाएगा-
1- जो किसी सीलबंद करेंसी नोट की ठीक नकल पैदा कर सकता हो।
2- जो किसी सीलबंद करेंसी नोट का नंबर पढ सकता हो।
3- जो जलती आग में आधे मिनट के लिए नंगे पैर खडा हो सकता हो।
4- ऐसी वस्तु जो मैं मांगूं, हवा में से लाकर दे।
5- टेलीपैथी द्वारा किसी के विचार पढ कर बता सकता हो।
6- मनोवैज्ञानिक शक्ति से किसी वस्तु को हिला या मोड सकता हो।
7- प्रार्थना या आत्मिक शक्ति या पवित्र राख से अपने शरीर को एक इंच बढा सकता हो।
8- जो योग शक्ति द्वारा हवा में उड सके।
9- यौगिक शक्ति से पांच मिनट के लिए अपनी नब्ज रोक सके।
10- पानी पर पैदल चल सके।
11- अपना शरीर एक स्थान पर छोड कर दूसरी जगह हाजिर हो।
12- 30 मिनट के लिए श्वास क्रिया रोक सके।
13- रचनात्मक बुद्धि का विकास करे। भक्ति या अज्ञात शक्ति द्वारा अत्मज्ञान प्राप्त करे।
14- पुनर्जन्म के तौर पर कोई अनोखी भाषा बोल सके।
15- ऐसी आत्मा या प्रेत हाजिर करे, जिसकी फोटो खींची जा सकती हो।
16- फोटो खींचने के बाद वह फोटो से अलोप हो सके।
17- ताला लगे कमरे में से अलौकिक शक्ति द्वारा बाहर निकल सके।
18- किसी बस्तु का भार बढा सके।
19- छिपी हुई वस्तु को खोज सके।
20- पानी को शराब या पेट्रोल में बदल सके।
21- शराब को रक्त में बदल सके।
22- किसी चित्र या जन्म पत्रियों को देख कर उन आदमियों या औरतों की पहचान कर ले.
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यह चुनौती डा0 कोवूर द्वारा 1963 में सारे विश्व के अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित कराई गयी। वर्ष 1978 में उसकी मौत तक कोई भी व्यक्ति एक भी चुनौती नहीं जीत सका। उनकी मृत्यु के बाद भी यह चुनौती बंद नहीं हुई है। रेशनेलिस्ट सोसायटी हरियाणा  ने इस चुनौती को जारी रखा है. पांच लाख रुपए IC के साथ।जो कुछ शर्तों के आज भी जारी है।
आश्चर्य का विषय यह है कि 1963 से चली आ रही इन चुनौतियों को कोई भी चमत्कारी बाबा पूरा नहीं कर सका है। क्या इससे डा0 कोवूर का उपरोक्त कथन कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं

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