हाथी निकल गया ओर पूछ रेह गई

आपने एक मुहावरा सुना होगा
की *हाथी निकल गया ओर पूछ रेह गई#
इस मुहावरे का ज्योतिषीय तथ्य क्या है
उपरोक्त मुहावरे मे हाथी एवम् पूछ शब्दों का उपयोग हुआ है।
ज्योतिष शास्त्र मे हाथी राहू को ओर पूछ केतु को माना गया है । राहु को huge, बड़ा ,विस्तृत करने वाला,असीमित माना गया है।(क्योकि अंधेरा असीमित होता है)
केतू को सुकछम ,छोटा,लंबा,पतला.माना गया है। अर्थात राहू का उल्टा।
अब आप देखिये हाथी कितना बड़ा होता है।ओर पूछ कितनी सी होती है।
कम से कम 1000 गुना का फर्क होता है। पूछ के।अंत मे एक छूभ्भा होता है।
अब आइये सुइ धागे पर। जब कपड़ा सीते है तो सुइ धागे का उपयोग करते है।
सुइ लंबी पतली होती है। कोई भी लंबी पतली चीज का कारक केतु होता है। जेसे पाइप,बांसुरी,बिजली का तार आदि आदि ।(क्योकि केतु सांप की पूछ है जो पतली लंबी होती है। राहू सांप का मुह होता है
अत राहू मुह का कारक भी है)
अब सुई मे एक मुह होता है। जिसमे धागा डालते है।
अर्थात यहां भी राहू एवम् केतू है। अर्थात हाथी ओर पूछ है।
अब आईये धागे पर। धागा लंबा ओर पतला होता है ।अत ये केतु हुआ। धागे का बंडल राहू हुआ क्योकि 1000रों मीटर धागा बंडल मे होता है।
जब कपड़ा सीने के लिए धागे को सुइ मे डालते है तो धागे के पीछे एक गांठ लगा देते है जिससे हाथी की पूछ की शक्ल हो जाती है अर्थात छुभ्भा बन जाता है।
अब दुबारा मुहावरे पर आईये।
पूरा धागा चाहे 1000 मीटर लंबा हो सुइ से निकल जाता है परंतु जहां गांठ लगी है वहा जाकर धागा रूक जाता है।
इसलिए इसे कहते है की हाथी निकल गया(हज़ारो मीटर धागा) पूछ रेह गई ओर निकल नही पाई।
ठीक इसी प्रकार जब काम रूक जाता है तो समझ लो केतू रुकावट डाल रहा है एवम् राहू रायता फैला कर कार्य को लंबा कर रह है।जो कार्य दो दिन मे होना चाहिए उसे महीनो सालो मे कर रहा है।
अत इस परिस्थिति मे राहू केतु एवं कार्य से सम्बन्धित ग्रह या देवों की पूजा,मंत्र जाप,दान ,टोटका ,रत्न धारण आदि आदि एवम् अन्य उपाय करने चाहिये।
इस तरह के जातको की कुंडली मे राहू या केतू कमजोर या पीड़ित होकर या गोचर मे खराब होकर कार्य के कारक ,भाव,भावेश आदि को खराब का अपना रुतबा डालते है।
इसीलिए। कई बार लोग मोक्ष से वंचित रेह जाते है क्योकि मनM ओर आत्मा मे मोह,लालच, मे मोक्ष से वंचित रेह जाते है।