राहु और केतु

राहु वह लालच है जिसमें व्यक्ति को कुछ अच्छा-बुरा दिखाई नहीं देता केवल अपना स्वार्थ ही दिखाई देता है। मांस मदिरा का सेवन, बुरी लत, चालाकी और क्रूरता, अचानक आने वाला गुस्सा, पीठ पीछे की बुराई यह सब राहु की विशेषताएं हैं। असलियत को सामने न आने देना ही राहु की खासियत है और हर तरह के झूठ का पर्दाफाश करना केतु का धर्म है।
केतु ही है जो संबंधों में दरार डालता है क्योंकि केतु ही दरार है। घर की दीवार में यदि दरार आ जाए तो समझ लीजिए की यह केतु का बुरा प्रभाव है और यदि संबंधों में भी दरार आ जाए, घर का बंटवारा हो जाए या रिश्तों की परिभाषा बदल जाए तो यह केतु का काम समझें। दुविधा में राहु का हाथ होता है।

किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना का कारक राहु ही होता है। यदि आप मन से जानते हैं की आप झूठ की राह पर हैं परंतु आपका भ्रम है कि आप सही कर रहे हैं तो यह धारणा आपको देने वाला राहु ही है।
किसी को धोखा देने की प्रवृत्ति राहु पैदा करता है यदि आप पकड़े जाए तो इसमें भी आपके राहु का दोष है क्योंकि वह आपकी कुंडली में आपके भाग्य में निर्बल है और यह स्थिति बार-बार होगी। इसलिए राहु का अनुसरण करना बंद करें क्योंकि यह जब बोलता है तो कुछ और सुनाई नहीं देता।
जिस तरह कर्ण पिशाचिनी आपको गुप्त बातों की जानकारी देती है, उसी तरह यदि राहु आपकी कुंडली में बलवान होगा तो आपको सभी तरह की गुप्त बातें बैठे बिठाए ही पता चल जाएंगी। यदि आपको लगता है की सबकुछ गुप्त है और आपसे कुछ छुपाया जा रहा है या आपके पीठ पीछे बोलने वाले लोग बहुत अधिक हैं तो यह भी राहु की ही करामात है।

No comments:

Post a Comment