नवमांश कुंडली

ज्योतिष में फलित करते समय नवमांश कुंडली का विशेष महत्व है| किसी भी राशि के नोवें भाग को उस राशि का नवमांश कहते है इस प्रकार 30 अंश की एक राशि होती है और उसका नोवें अंश यानी 3 अंश 20 कला का एक नवमांश होता है| चर राशि का नवमांश अपनी ही राशि से सुरु होता है सिथर राशि का अपनी से नवम और दिस्व्भाव राशि का नवमांश अपनी से पंचम राशि से नवमांश की सुरुवात होती है| एक अन्य गणना के अनुसार अग्नि तत्व राशी का नवमांश मेष से पिर्थ्वी तत्व राशि का मकर से वायु तत्व राशि का तुला से और जल तत्व राशि का कर्क से नवमांश की सुरुवात होती है|

नवमांश कुंडली का विशेष महत्व है | किसी भी ग्रह के बल का अध्यन करते समय नवमांश में उस ग्रह की सिथ्ती देखनी आवश्यक होती है जैसे की लग्न कुंडली में कोई ग्रह नीच राशि का है और नवमांश में उंच राशि का है तो उस ग्रह की नीचता कम हो जाती है और उसके अशुभ फलों में कमी हो जाती है| इसी प्रकार यदि कोई ग्रह लग्न कुंडली में उंच लेकिन नवमांश में नीच है तो वो अपना पूर्ण फल जातक को नही दे पाता है| यदि लग्न कुंडली वाली राशि में ही कोई ग्रह नवमांश कुंडली में हो तो ये उसकी वर्गोतम सिथ्ती कहलाती है और ग्रह जातक को अपना पूर्ण फल देता है| वर्गोत्म  का  ये  मतलब कदापि  नही  है  की  वो  ग्रह  आपको  केवल  शुभ  फल  देगा  इसका  मतलब  है  की  वो  ग्रह  बली  हो   गया  है  और  अपना  शुभाशुभ  फल  अन्य  ग्रहों  के  मुकाबले  में  ज्यादा  आपको  देगा | कुंडली  के  कारक  ग्रह  का  शुभ  भावों   में वर्गोत्म होना  जातक  को  विशेष  शुभ  फल  देगा |

नवमांश कुंडली का मुख्य रूप से दाम्पत्य सुख के लिय अध्ययन किया जाता है| यदि लग्नेश और नवमांश पति आपस में मित्र ग्रह हो तो पति पत्नी के विचार और स्वभाव मिलने के योग प्रबल हो जाते है| इसके साथ इन दोनों कुंडलियों में नवमांश पति की सिथ्ती काफी मायने रखती है | यदि वो नीच शत्रु राशि या त्रिक भाव में हो तो दाम्पत्य सुख में कमी के योग बनते है| यदि नवमांश पति शुभ राशि में लग्न कुंडली में केंद्र या त्रिकोण में हो तो जातक का विवाह उचित आयु में हो जाता है| साथ ही नवमांश पति के स्वामी के अनुसार जातक के जीवनसाथी में गुण पाए जाते है|
स्त्री की नवमांशकुंडली में यदि सप्तम भाव में शुभ  ग्रह जैसे बलि चन्द्र गुरु या शुक्र हो तो जातिका सोभाग्यशालिनी होती है|
यदि नवमांश पति पाप ग्रह से पीड़ित हो तो जातिका विवाहिक जीवन में परेशानी का सामना करने वाली होती है|
इसी तरह किसी की कुंडली में नवमांश में शुक्र मंगल राशि परिवर्तन करे तो उसके अन्य के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनने के योग प्रबल हो जाते है|
इसके साथ जिस भी राशि के नवमांश में जातक का जन्म हो और उस राशि के स्वामी की सिथ्ती अच्छी हो तो जातक में उस राशि और उसके स्वामी जैसे गुण पाए जाते है जैसे की किसी का जन्म मेष के नवमांश में हुआ हो और कुंडली में मंगल शुभ सिथ्ती में हो तो जातक में नेता के गुण होते है जातक फुर्तीला साहसी सीघ्र गुस्से में आने वाला और शरीर से बलशाली होता है| इसी प्रकार हम सभी राशी के आधार पर जातक के गुणों के बारे में जान सकते है|
नवमांश कुंडली का काफी विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है और बहुत कुछ इसके उपर लिखा भी जा सकता है क्योंकि दक्षिण भारत में नवमांश कुंडली का अधयन्न लग्न कुंडली की तरह ही किया जाता है| चूँकि सभी कुछ लिखना संभव नही है इसिलिय सारांस में लिखने की कोशिस की है ताकि कुंडली देखते समय नवमांश में ग्रह की सिथ्ती का भी अध्ययन का महत्व समझा जा सके|

1 comment:

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